
लखनऊ हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके साथियों की दर्दनाक शहादत की याद में इमामबाड़ा नाजिम साहब विक्टोरिया स्टीट से कर्बला के 72 शहीदों के चेहलुम का जुलूस निकाला गया जो कर्बला तालकटोरा जाकर संपन्न हुआ। जुलूस में हजारों अजादार सियाह लिबास पहने शरीक हुए जिसमें पुरूषों के साथ पर्दानशीन महिलाएं व बच्चे शामिल थे। जुलूस की मजलिस को मौलाना कल्बे अहमद ने खिताब किया। उन्होंने कहा कि हजरत इमाम हुसैन (अ.स) उनके साथियों का चेहलुम मानाया जा रहा है जिनको कर्बला के तपते रेगिस्तान में तीन दिन का भूखा-प्यास शहीद कर दिया था जिनमें इमाम हुसैन (अ.स) के 6 महीने के मासूम बेटे हजरत अली असगर (अ.स) भी शामिल थे। यह सुनकर अजादारों की आंखें आंसुओं से लबरेज हो गईं। मजलिस बाद इमामबाड़े से अंजुमनों के निकलने का सिलसिला शुरू हुआ जो नक्खास चौराहा, टूरियागंज, हैदरगंज, बुलाकी अड्डा, एवरेडी होते हुए तालकटोरा कर्बला में संपन्न हुआ। जुलूस में शहर की करीब दो सौ मातमी अंजुमनें अपने अलम के साथ नौहाख्वानी व सीनाजनी करती चल रही थीं। अंजुमनों के साहिबे बयाज चेहलुम पर कदीमी नौहे पढ़ रहे थे, जिन्हें सुन अजादार रो रहे थे। इस दौरान अजादारों ने जंजीर और कमा का मातम भी किया। जुलूस में सबसे पीछे अंजुमन रौनके दीने इस्लाम, हजरत औन व मोहम्मद, हजरत अली अकबर, हजरत अली असगर और हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) के ताबूत व गहवारा, ऊंटों पर अमारियां, जुलजनाह और हजरत अब्बास (अ.स.) की निशानी अलम के साथ नौहाख्वानी व सीनाजनी करती हुई शामिल हुई। अकीदतमंदों ने जियारत कर दुआएं मांगी। शाम तक अंजुमनों का कर्बला तालकटोरा पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। कर्बला में अलविदाई मजलिस के बाद जुलूस सम्पन्न हुआ।
इराक की तर्ज पर लखनऊ में भी अरबाईन वॉक
चेहलुम के मौके पर हर साल दुनिया भर से लाखों अजादार कर्बला इराक जाते हैं और वहा नजफ शहर स्थित रौजाए हजरत अली (अ.स.) से कर्बला में रौजाए इमाम हुसैन (अ.स.) तक 80 किलो मीटर पैदल सफर करते हैं। इसी तर्ज परअरबईन में न पहुंच पाने वाले श्रद्धालुओं ने लखनऊ में पैदल मार्च निकाला और कर्बला की एक झलक पेश की। जिसे अरबाईन वॉक कहते है। अजादारों ने इमामबाड़ा शाहनजफ हजरतगंज, रौजाए हजरत अली सरफराजगंज और कर्बला अब्बासिया बक्शी का तलाब से कर्बला तालकटोरा के लिए पैदल सफर तय किया। जिसमें पुरूष, ख्वातीन व बच्चों के साथ हजारों अजादार शामिल हुए। अजादारों के बड़े इमामबाड़े के पास गुलामाने हजरत मुख्तार फेडरेशन हसन पुरिया के सदस्यों ने पैर दबा कर उनकी खिदमत की। पैदल आये जायरीन के लिए शहीद स्मारक पर सबीले सक्काए सकीना रीवर बैंक कालोनी सहित अनेक इदारों व अजादारों ने जगह पर खाने पीने के विषेश इंतजाम किये थे।
लब्बैक या हुसैन की रही गूंज
जुलूस के दौरान इमामबाड़ा नाजिम साहब से कर्बला तालकटोरा तक अजादारों के लबों पर लब्बैक या हुसैन…लब्बैक या हुसैन… यानी हुसैन हम हाजिर हैं की सदाएं थीं। जुलूस में ईराक की तर्ज पर अजादार हाथों में ‘या हुसैन” व ‘या अब्बास” लिखे लाल, हरे, सफेद और काले झंडे लहरा रहे थे।
बहत्तर शहीदों की हुई नज्र
चेहलुम के मौके पर अजादारों ने अपने घरों में कर्बला के शहीदों की नज्र दिलाकर अकीदत पेश की। मुख्य रूप से खड़ी मसूर की दाल, दूध, शर्बत व पानी पर नज्र दी गयी,जिसे बड़ी अकीदत के साथ चखा। नज़्र चखते ही आंखों से आंसू जारी हो गये। अजाखाना-ए-अबुल फजलिल अब्बास हसन पुरिया में मजलिस बाद मौलाना शाहिद रजा ने बहत्तर शहीदों की नज्र दी। जिसमें बहत्तर थालियों में नज्र का सामान व बहत्तर कूजों में पानी था जिसे देखकर कर्बला के शहीदों की तीन दिन की भूख-प्यास की याद ताजा हो गयी। इदारे अजरे रिसालत मिशन की ओर से रौजाए बैतुल हुज्न रूस्तम नगर में मजलिसे अरबाईन-ए-शोहदा-ए-कर्बला को मौलाना मीसम जैदी ने खिताब किया। मजलिस का आगाज कारी नदीम नजफी ने तिलावते कुरान पाक से किया।
शहीदों के नाम पर सबीलों के विशेष इंतजाम
चेहलुम के मौके पर विक्टोरिया स्ट्रीट से लेकर कर्बला तालकटोरा व कर्बला इमदाद हुसैन खा के पास तक बिभिन्न इदारों की तरफ से चाय, काफी, दूध, बिरयानी, दाल-चावल, खिचड़ा, बिस्कुट, शीरमाल, चाकलेट, विभिन्न तरह के शर्बत व चिप्स आदि का वितरण किया गया। इसके अतिरिक्त कई सचल सबीले भी जुलूस के साथ चल रही थी।