
लखनऊ। वक्फ कर्बला मुंशी मुजफ्फर अली गोसाईगंज में रविवार को हजरत इमाम हुसैन (अ.स) और उनके साथियों का चेहलुम मनाया गया। इस मौके पर मौलाना कल्बे जव्वाद ने मजलिस को खिताब किया। उन्होंने कहा कि कर्बला मुंशी मुजफ्फर अली का रिकॉर्ड 1862 के नक़्शे में दर्ज है। जिसमें कर्बला के साथ कब्रिस्तान और मस्जिद में दर्ज है। मौलाना ने कहा कि कलम ए कुदरत ने लिखा है कि इमाम हुसैन (अ.स) हिदायत का चिराग और निजात का सफीना भी हैं। उन्होंने कहा पूरी इंसानी तारीख में हजरत इमाम हुसैन वह वाहिद शख्सियत हैं जिनकी याद हर मजहब वाला मनाता है। इमाम हुसैन ने किसी एक मजहब के लिए नहीं बल्कि पूरी इंसानियत के लिए कुर्बानी दी है। मौलाना ने जब इमाम के छह महीने के मासूम बेटे हजरत अली असगर और चार साल की मासूम बेटी जनाबे सकीना की दर्दनाक शहादतों को बयान किया तो अजादार रोने लगे। मजलिस के बाद शहर की तमाम अंजुमनों ने अलम सजा कर नौहाख्वानी की। जायरीनों और अंजुमनों की सुविधा के लिए पुराने शहर के कई इलाकों से दर्जनों बसें अजादारों को लेकर आयीं। इस मौके पर सबीलों और लंगर का इंतजाम किया गया था।