लखनऊ ऐतिहासिक बड़े इमामबाड़े से पहली मुहर्रम को निकाला गया गया शाही मोम की ज़रीह का जुलूस

पहली मोहर्रम के मौके पर शुक्रवार को घरों-घरों अजाखाने सज गये और उसमें ताजिये व जरीह रख दी गयी इसी के साथ या हुसैन-या हुसैन की सदाएं गूजने लगी। आज जहां दिन भर पुरूषों ने शहर के विभिन्न इमामबाड़ों और कर्बलाओं मेें जाकर मजलिसों में शिरकत की वहीं महिलाओं ने भी अपने इलाकों के घरों में जाकर नौहाख्वानी व मातम किया। यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा। हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके साथियों की याद में आयोजित होने वाली अशरा-ए-मजलिस के आज पहले दिन शहर के तमाम इमामबाड़ों और कर्बलाओं में मजलिस-ओ-मातम का आगाज हो गया जो दो महीने तक जारी रहेगा। आज की मजलिसों में कही हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) के दूत हजरत मुस्लिम इब्ने अकील की शहादत का जिक्र तो कही हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) के कर्बला पहुंचने का जिक्र हुआ।
इमामबाड़ा गुफरांमाआब चौक में मौलाना कल्बे जव्वाद ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि हजरत मोहम्मद साहब ने फरमाया कि मेरा हुसैन हिदायत का चिराग है। मौलाना ने कहा कि अजादारी इमाम की शहादत के बाद शुरू हो गयी थी जो कयामत तक जारी रहेगी। अज़ादारी हज़रत फातिमा (स.अ) की दुआ का असर है इसी लिए बड़ी मुख़ालिफ़त और दुश्मनियों के बावजूद यह फल-फूल रही है। दुश्मन हर ज़माने में शिकस्त खाता रहा है।
इममाबाड़ा जन्नतमाब तकी साहब चौक में मौलाना सैफ अब्बास ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि अल्लाह ने पैगंबरे इस्लाम के जरिये लोगों को कई हुक्म दिये। लेकिन किसी भी हुक्म में मदद का वादा नहीं किया,जब गदीर में एलाने विलायते अली का वक्त आया तो अल्लाह ने कहा कि हम तुम्हें लोगों की दुश्मनी से बचाएंगे। कुरान के सूरह अल-मायदा में है कि इस दिन हमनें इस्लाम को मुकम्मल किया।
हुसैनी इमामबारगाह अलीगंज में मौलाना इब्राहीम कुम्मी ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा हजरत मोहम्मद साहब (स) ने कहा कि हुसैन मुझसे हैं और मैं हुसैन से हूं।
इमामबाड़ा आगा बाकिर चौक में मौलाना मीसम जैदी ने अदालत शीर्षक से मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि हमारी जाकिरी की मंजिल जिक्रे अहलेबैत करना है।
मदरसे नाजमिया बजाजा में मौलाना हमीदुल हसन ने विलायते अहलेबैत शीर्षक से मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि जैसे अहलेबैत मेरे नबी को मिले किसी और नबी को नहीं मिले। उन्होंने कहा कि दुश्मनाने अजा दुश्मनाने अहलेबैत हैं।
इमामबाड़ा कसरे हुसैनी बिल्लौचपुरा में मौलाना मोहम्मद मियां आब्दी ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि हजरत रसूले अकरम (स.) फरमाते हैं, जहां अली हैं वहां हक है अगर आप अली के साथ हैं तो हक के साथ हैं। उन्होंने कहा कि कर्बला हमारी पहचान है।
इमामबाड़ा हज़रतगंज मौलाना फैजान नक़वी ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि इंसान निजाम ए इलाही अौर अपनी जिम्मेदारी को पहचाने। इलाही नुमाइंदे इंसान की रूहानी तरक्की के लिए आए थे, दुनियावी तरक्की इंसान खुद कर सकता है। अगर उसकी अक्ल में आ जाएगी तो वो दुनिया के साथ साथ मानवी तरक्की करेगा।
यहां भी हुआ जिक्रे कर्बला
इसके अतिरक्ति इमामबाड़ा सै. आगा विक्टरिया स्टी्रट में मौलाना अखतर अब्बास, इमामबाड़ा मकसदे हुसैनी घासमंडी मौलाना रईस काजमी, इमामबाड़ा अफजल महल में मौलाना आगारूही और रौजा-ए-जैनबया टिकैतराय तलाब व रईस मंजिल में मौलाना तकी रजा ने मजलिस को खिताब किया।
इमामबाड़ा नाजिम साहब में हुई मर्सिये की मजलिस
आज पहली मोहर्रम को अहलेबैत की पसंदीदा जाकरी के उन्वान से पहली मजलिस में जनाब मुहम्मद हैदर ने नसीम अमरोही का तसनीफ़ करदा मर्सिया अपने मखसूस अंदाज में पढ़ाते हुए कहा कि वो शेर की आमद सिफ़त-ए-क़हर-ए-इलाही,फौजों में वो भगदड़, वो तिलातुम, वो तबाही रुख़्सत हुई सब शाम की वो सुत्वत-ए-शाही मर्दम की बसीरत भी अदम को हुई राही कल की मजलिस को मोहसिन अब्बास खिताब करेंगे। ।
आमद-ए-काफिले हुसैनी का मंजर आज
दूसरी मोहर्रम के मौके पर कर्बला दियानुतदौला परिसर में इदारा-ए-सक्का-ए-सकीना नूरबाड़ी द्वारा जुलूसे आमद-ए-काफिले हुसैनी मंगलवार को निकाला जायेगा। इससे पूर्व मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी शाम पांच बजे मजलिस को खिताब करेंगे। जुलूस में इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके साथियों के कर्बला पहुंचने का मंजर पेश किया जायेगा।
जुलूस देख अजादारों की आंखें हुई नम
हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके 71 साथियों की याद में शुक्रवार को आसिफी इमामबाड़े से शाही जरीह का जुलूस निकाला गया जो छोटे इमामबाड़े पहुंच कर समाप्त हुआ। जुलूस में 22 फिट की मोम और 17 फिट की अभ्रक की जरीह मुख्य आकर्षक का केन्द्र थी। अश्कबार आंखे, हाथों में अलम और लबों पर या हुसैन की सदाओं के साथ पहली मोहर्रम को जब बड़े इमामबाड़े से शाही जरीह का जुलूस निकला तो अजादारों की आंखें नम हो गई। हजारों की संख्या में औरतें, बच्चे व बुजुर्ग शाही जरीह के जुलूस की जियारत को बड़े इमामबाड़े पहुंचे। इसे पूर्व मौलाना मोहम्मद अली हैदर ने मजलिस को खिताब किया। शाही जरीह के जुलूस में शहनाई पर “मजलिसे गम है शाहे हुदा की, आज पहली है माहे अजा की, धुन बजी तो अजादारों की आंखों में आंसू आ गए। अवध के रिवायती अंदाज में बड़ी शान-ओ-शौकत से शाही जरीह का जुलूस निकाला गया। आगे-आगे शहनाई और नकारों पर मातमी धुनें बज रही थी तो पीछे पीएसी व होमगार्ड के जवान बैंड पर मातमी धुनें बजा रहे थे। जुलूस के बीच मार्सियाख्वान अपनी दर्द भरी आवाज में मदीने से इमाम हुसैन (अ.स.) की रुखसत का मंजर बयान कर रहे थे। जुलूस के साथ चल रहे हाथी और ऊंट जुलूस के शाही होने की गवाही दे रहे थे। शाही जुलूस अजादारी रोड होता हुआ देर रात छोटे इमामबाड़े पर समाप्त हुआ। जुलूस के आगे सबील, माहे मरातिब (मछली) ताज, शेरे दहां, सूरज और चांद से सजे हुए हाथी और ऊंट पर लोग हाथों में काले झंडे लेकर चल रहे थे। उसके पीछे मातमी बैंड, चोबदार,अलम लिए लोग या हुसैन की सदाएं बुलंद कर रहे थे। सबसे पीछे मोम और अभ्रक की शाही जरीह थी।
जुलूस में सबीलों का इंतजाम
जुलूस में दूर दराज से आए अजादारों के लिए कई लोगों ने चाय और पानी की सबीलों को भी इंतजाम किया था। इसमें आसिफदौला पार्क से लेकर घंटाघर और छोटे इमामबाड़े तक कई चाय पानी और तबरुक की सबीले लगाई गई थी। इसके अलावा हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से भी जुलूस में चाय व पानी की सबील की गई।