प्राइमरी स्कूल के बच्चों को अब तक नहीं मिल पाई किताबें और यूनिफार्म
इंडिपेंडेंट वॉयस ।
उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों को लेकर भले ही बड़े-बड़े दावे कर रहे हो लेकिन सच्चाई इसके उल्टी है। प्राइमरी स्कूलों का सत्र शुरू होने के करीब तीन महीने बाद भी 70 प्रतिशत बच्चों को नई किताबें और यूनिफार्म नहीं मिल पाया है। हद तो यह है कि पिछले साल का पैसा भी अभी तक अभिभावकों के खाते में नहीं आया है। ऐसे में नए सत्र का पैसा उनके खाते में कब आएगा, यह एक बड़ा सवाल है।
बेसिक शिक्षा परिषद प्रदेश में 1 लाख 30 हजार प्राइमरी व उच्च प्राइमरी स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। इन स्कूलों में करीब एक करोड़ 80 लाख बच्चे पढ़ते हैं। सरकार की ओर से इन बच्चों को हर साल नई किताबें व डीबीटी के माध्यम से 1100 सौ रूपए यूनिफार्म के खाते में भेजे जाते हैं। विभाग ने 1 जुलाई के स्थान पर 1 अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत तो कर दी, लेकिन अभी तक व्यवस्थाएं दुरूस्त नहीं हो पाई हैं।
हालत यह है कि पूरे प्रदेश में एक भी बच्चे को अभी तक इस साल मिलने वाली सरकारी किताबें उपलब्ध नहीं हो पाई हैं, जबकि सत्र शुरू हुए करीब तीन महीने से ज्यादा का समय गुजर चुका है। बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। जानकारों की मानें तो किताबों की छपाई का टेंडर अभी हाल में ही हुआ है। ऐसे में किताबें मिलने में बच्चों को दो महीने और लगेंगे।
उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अभी तक सरकार की तरफ से जूता, मोजा, बस्ता और यूनिफॉर्म उपलब्ध कराई जाती थी। पिछले सत्र से ही इस व्यवस्था में बदलाव किया गया है। अब डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से बच्चों के अभिभावकों के खातों में यूनिफार्म के 1100 रुपए ट्रांसफर किए जाने की व्यवस्था शुरू की गई है। नवंबर, दिसंबर 2021 में इसकी शुरुआत की गई थी। अभी तक सभी बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है।