मां-बाप की टॉप स्कूलों में दाखिले की चाहत, खराब कर रही बच्चों का फ्यूचर
इंडिपेंडेंट वॉयस। आरिफ उस्मान
जापलिंग रोड निवासी कृपा शंकर के लाडले का दाखिला आरटीई के तहत घर के पास ही एक स्कूल में हुआ है लेकिन वह लखनऊ पब्लिक कोलिजिएट में अपने बच्चे का एडमिशन चाहते थे। लिहाजा उन्होंने उस स्कूल से नाम कटवा कर दोबार आरटीई में दाखिले का आवेदन किया। नतीजा यह हुआ कि उनको आवदेन फार्म रिजेक्ट कर दिया गया।
निशातगंज निवासी राजेन्द्र कुमार अपने बच्चे को सीएमएस में पढ़ाना चाहते है। उन्होंने भी अपने बच्चे नाम आरटीई के तहत जिस स्कूल में हुआ। वहां कटवा कर दूसरे वार्ड से ऑनलाइन आवेदन किया। जांच में उनका भी आवेदन निरस्त कर दिया गया।
यह चंद उदाहरण बताने के लिए काफी है कि किस तरह आरटीई के तहत अच्छे स्कूल में दाखिला पाने के लिए अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को बरबाद कर रहे हैं। ऐसे अभिभावकों की संख्या एक या दो नहीं है बल्कि एक हजार से अधिक अभिभावकों ने शहर के टॉप स्कूलों में दाखिले की चाहत में अपने बच्चे का भविष्य अंधकार में ढकेल दिया है। जांच के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने एक बार दाखिला मिलने के बाद दोबारा आवेदन करने वाले अभिभावकों के आवेदनों को निरस्त कर दिया है।
दूसरे वार्ड से कर रहे हैं आवेदन
नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई तहत सरकार गरीब व दुर्बल वर्ग के अभिभावकों के बच्चों के दाखिले जिस वार्ड में उनका निवास है, उस वार्ड में स्थित स्कूलों में लॉटरी के जरिए कराया जाता है। सरकार की ओर से बच्चों की फीस मासिक 450 रुपए स्कूलों को प्रतिपूर्ति की जाती है। साथ ही अभिभावकों को 5 हजार रुपए यूनिफार्म और किताबों के दिए जाते हैं। अधिकतर अभिभावक लॉटरी के बाद एलॉट हुए स्कूल में दाखिला ले लेते हैं लेकिन बहुत से ऐसे अभिभावक होते हैं। जो शहर के टॉप स्कूलों में दाखिले के लिए खेल करते हैं। अभिभावक स्कूल एलॉट होने के बाद उसमें तो दाखिला ले लेते हैं लेकिन बाद में जिस वार्ड में उनकी पसंद का स्कूल होता है, साथ ही बच्चे का नाम भी पहले वाले स्कूल से कटवा लेते हैं। ऑनलाइन आवेदन के समय अपना वार्ड बदल कर दूसरे स्कूल में आवेदन कर देते हैं।
सत्यापन में होते हैं रिजेक्ट
लॉटरी में स्कूल एलॉट होने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग आवेदनों का सत्यापन कराता है। सत्यापन के दौरान अभिभावकों का खेल सामने आ जाता है। वार्ड बदलने के चलते उनके आवेदन का निरस्त कर दिया जाता है। आरटीई के तहत पहली लॉटरी में 14 हजार से अधिक आवेदन आए थे। इसमें 659 आवेदनों को निरस्त किया गया। दूसरी लॉरटी में 7141 आवेदन आए थे, इसमें 412 रिजेक्ट किए गए जबकि तीसरी लॉटरी में 1685 आवेदनों में 585 आवेदन निरस्त किए गए। निरस्त हुए आवेदनों में अधिकतर दूसरे वार्ड से भरे गए थे या फिर उन बच्चों का पहले दाखिला हो चुका था लेकिन अच्छे स्कूल की चाहत में उन्होंने दोबारा वार्ड बदल कर आवेदन किया था, जिनको निरस्त किया गया।
प्रत्येक मिता-पिता के लिए ,चिन्तनीय विषय