सेंटीनियल इंटर कॉलेज को रातो रात बना डाला सरकारी से प्राइवेट कॉलेज
इंडिपेंडेंट वॉयस।
कैसरबाग की प्राइम लोकेशन पर मौजूद 139 साल पुराने सेंटीनियल इंटर कॉलेज पर कब्जा हो गया है। करोड़ों रूपए की जमीन पर शिक्षा माफियाओं की निगाह खराब हो गई है। गर्मियों की छुटि्टयों से पहले यह स्कूल सरकारी सहायता प्राप्त हुआ करता था लेकिन जब छुट्टियों के बाद यह स्कूल खुला तो प्राइवेट स्कूल हो गया है। शिक्षा माफियाओं ने सेंटीनियल स्कूल के बाहर एक प्राइवेट स्कूल का बोर्ड लगा दिया। मजबूरन शिक्षकों को गेट के बाहर बच्चों की पाठशाला लगाना पड़ी। स्कूल के प्रिंसिपल राजीव डेविड दयाल के साथ अन्य शिक्षकों ने गेट पर ही बच्चों की अंग्रेजी और गणित की क्लास ली।
प्रदेश की योगी सरकार एक तरफ बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए टैबलेट समेत अन्य योजनाएं चला रही है। वहीं, दूसरी ओर शिक्षा माफिया बच्चों के भविष्य से खेलने में पीछे नहीं हट रहे हैं। साल 1862 में बने ऐतिहासिक सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय के परिसर में एक प्राइवेट स्कूल चल रहा है। गर्मी की छुट्टी के बाद स्कूलों के अध्यापकों और शिक्षकों को इस फर्जीवाड़े का सामना करना पड़ा। बीते 6 दिन से यह स्कूल बंद चल रहा था।
इसकी शिकायत भी माध्यमिक शिक्षा मंत्री से लेकर शिक्षाधिकारियों से की गई। शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की कोई मदद ना मिल पाने के बाद यहां के शिक्षकों ने गुरुवार को स्कूल के गेट के बाहर क्लास ली। प्रिंसिपल राजीव डेविड दयाल ने बताया कि गर्मी की छुट्टी के बाद जब 1 जुलाई को वह स्कूल पहुंचे तो मंजर बदला हुआ था। उनके स्कूल की बिल्डिंग में मैथडिस्ट चर्च स्कूल का बोर्ड लगा हुआ था। उनका सारा सामान स्कूल से बाहर फेंक दिया गया.
नहीं सुन रहे शिक्षा अधिकारी
शिक्षकों का कहना है कि उन्होंने तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ अमरकांत सिंह और संयुक्त शिक्षा निदेशक सुरेंद्र तिवारी को इसके संबंध में सूचना दी गई। उन्होंने स्कूल को कुछ दिन के लिए बंद कर देने की सलाह दी। जिसके बाद पहले 2 जुलाई और फिर 6 जुलाई तक के लिए स्कूल को बंद किया गया। प्रिंसिपल राजीव डेविड दयाल का कहना है कि गुरुवार से स्कूल की दोबारा शुरू किया गया है. मजबूरन उन्हें स्कूल के गेट पर क्लासेस चलानी पड़ रही हैं.
रातों रात सरकारी से प्राइवेट हो गया स्कूल
अभिभावकों ने स्कूल मैनेजमेंट की तानाशाही का विरोध किया। उन्होंने बताया कि उनके बच्चे सेंटीनियल स्कूल में पढ़ते है। रातोंरात इस स्कूल में ताला लगा दिया गया और उसके स्थान पर एक नए नाम से प्राइवेट स्कूल खोला गया है। इसकी फीस इतनी ज्यादा है कि हम भर ही नहीं सकते। अब स्कूल परिसर में उनके बच्चों को घुसने भी नहीं दिया जाता है। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय प्रवक्ता डॉ आरपी मिश्र ने कहा कि स्कूल बचाने के लिए 11 जुलाई को सभी माध्यमिक विद्यालयों में जनसभा व प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा। वहीं, मामला गरमाने के बाद डीआईओएस राकेश पांडेय व बीएसए विजय प्रताप मामले की जांच के लिए स्कूल पहुंचे।
करोड़ों की जमीन शिक्षा माफियाओं की निगाह खराब
यह कोई नया मामला नहीं है इससे पहले काल्विन ताल्लुकेदार इंटर कॉलेज में भी इसी तरह का मामला सामने आया था। जहां पर मैनजेमेंट ने यूपी बोर्ड के स्कूल पर ताला लगाकर प्राइवेट कॉलेज खोल दिया था। इसके अलावा प्राइम लोकेशन पर स्थित सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की जमीन पर हमेशा शिक्षा माफियाओं की निगाहे खराब रहती है।