बिना मानकों दी थी एनओसी, कार्रवाई के लिए शासन को भेजी रिपोर्ट
इंडिपेंडेंट वॉयस।
लविप्रा के जिन अफसरों और इंजीनियरों की मिलीभगत से बिना नक्शा स्वीकृति के होटल लेवाना बन गया। उनके खिलाफ लविप्रा की एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित कर दी गई है। लविप्रा सचिव पवन कुमार गंगवार की अध्यक्षता में गठित समिति में मुख्य अभियंता अवधेश तिवारी, वित्त नियंत्रक दीपक सिंह और मुख्य नगर नियोजक नितिन मित्तल को शामिल किया गया है। कमेटी ने अपनी प्रारंभिक जांच में सोमवार को एक मुख्य अभियंता सहित 22 अफसरों व इंजीनियराें को जिम्मेदार पाया है। इन दोषियों की तैनाती दो जुलाई 2017 से होटल के अवैध निर्माण तक रही है।
लविप्रा ने पालिका केंद्रीयित सेवा के मुख्य अभियंता कमलजीत सिंह को भी दोषी पाया है। कमलजीत सिंह इस समय अयोध्या नगर निगम में तैनात हैं। बीती 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए अधिशासी अभियंता ओपी मिश्र वर्ष 2018 चारबाग अग्निकांड के मामले में भी दोषी हैं।
यह हैं लेवाना कांड के गुनाहगार
सेवानिवृत्त जोनल अधिकारी अरुण कुमार सिंह व ओपी मिश्र, एलडीए से तबादला हो चुके अधीक्षण अभियंता जहीरूद्दीन व कमलजीत सिंह, सहायक अभियंता ओपी गुप्ता, राकेश मोहन, राधेश्याम सिंह, विनोद गुप्ता, अमर मिश्र, नागेन्द्र सिंह, इस्माइल खान अवर अभियंता राजीव कुमार श्रीवास्तव, जेएन दुबे, जीडी सिंह, रवीन्द्र श्रीवास्तव, उदयवीर सिंह, अनिल मिश्र, पीके गुप्ता, सुशील वर्मा, अम्बरीश शर्मा व रंगनाथ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी गई है।
मानकों को ताक पर रख चल रहा था होटल
लविप्रा ने पिछले वर्ष होटल सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए भू उपयोग परिवर्तन का नियम लागू किया था। इसके लिए लविप्रा ने कुछ मानक भी तय किए थे। मानक के तहत 10 हजार वर्गफीट से कम भूमि पर होटल नहीं बन सकता है। लेवाना होटल 6400 वर्गफीट भूमि पर बन गया। विकसित क्षेत्र में 12 मीटर चौड़ी और अविकसित इलाके में 18 मीटर चौड़ी सड़क होना जरूरी है। यहां भी मदन मोहन मालवीय मार्ग पर इस मानक को पूरा नहीं किया गया। इस नियम के विपरीत छोटे कमरों में भी होटल बनने लगे। होटल का नक्शा पास कराने से पहले फायर की प्राइमरी एनओसी लेना जरूरी होता है। होटल बनने पर ही अंतिम एनओसी फायर विभाग की ओर से जारी की जाती है।