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Trump के नए मंत्री के साथ जयशंकर की बड़ी बैठक, चीन को दे दिया सख्त संदेश

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण समारोह के बाद भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की अमेरिका में एक के बाद एक बड़ी बैठक शुरू हो गई। विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर केवल मेहमान के तौर पर शपथग्रहण समारोह का हिस्सा बनने के लिए नहीं पहुंचे थे बल्कि ट्रंप की नई सरकार और उनकी टीम के साथ एक अहम मीटिंग करने के लिए पहुंचे थे। भारत अमेरिका के संबंधों और इसके अलावा वैश्विक मुद्दों को लेकर अमेरिका की नई सरकार के साथ भारत की चर्चा बहुत खास थी। ये भारत की ताकत को भी दिखाता है। जिस वक्त अमेरिका में दुनियाभर से आए मेहमानों की मौजूदगी है। तब सबसे ज्यादा प्राथमिकता क्वाड के विदेश मंत्रियों और भारत के विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर को दी गई। सबसे पहले तो एस जयशंकर की द्विपक्षीय वार्ता ट्रंप के मंत्रियों के साथ हुई। विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने अमेरिका के नए विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।

विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने अमेरिका में ट्रंप सरकार के साथ पहली बार बातचीत की है। ट्रंप के विदेश मंत्री मार्को रूबियो के साथ उनकी ये पहली द्विपक्षीय बैठक थी। जिसमें भारत और अमेरिका के संबंधों को लेकर बात हुई। इस मुलाकात के दौरान टेक्नोलॉजी, डिफेंस और एनर्जी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई है। मीटिंग के दौरान द्विपक्षीय साझेदारी की भी समीक्षा की गई है।  चीन की बढ़ती मुखरता और आक्रामकता पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके पूर्ववर्तियों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। बैठक ट्रंप के कार्यकाल के पहले दिन और रूबियो के अमेरिका के शीर्ष राजनयिक के रूप में शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद हुई। इससे स्पष्ट होता है कि ‘क्वाड’ ट्रंप के लिए प्राथमिकता बनी रहेगी। विदेश मंत्री ने अमेरिका के नए सिक्योरिटी एडवाइजर माइकल वाल्ज से भी मुलाकात की।  विदेश मंत्री जयशंकर ने दोनों के साथ मुलाकात  से जुड़ी तस्वीरें एक्स पर भी पोस्ट की हैं।

आपको बता दें कि  क्वाड की स्थापना 2007 में उन देशों को साथ लाने के लिए की गई थी, जिन्होंने 2004 में हिंद महासागर में आए विनाशकारी भूकंप और सुनामी की प्रतिक्रिया में मिलकर काम किया था। इसके सदस्य इसकी कूटनीतिक प्रकृति और क्षेत्रीय मुद्दों पर व्यापक ध्यान केंद्रित करने पर जोर देते हैं, जिसमें बुनियादी ढांचा, मानवीय सहायता, आपदा राहत, जलवायु परिवर्तन और समुद्री सुरक्षा शामिल है। भले ही सुरक्षा इसका एक हिस्सा है, लेकिन ‘क्वाड’ क्षेत्र में चीन की बढ़ती मुखरता और विशाल क्षेत्रीय दावों का मुकाबला करने की अमेरिकी रणनीति का एक प्रमुख घटक है, जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दक्षिण चीन सागर और ताइवान का लोकतांत्रिक स्वशासित द्वीप शामिल है।

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