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देवघर हवाई अड्डा मामले में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे-मनोज तिवारी को SC से बड़ी राहत, झारखंड सरकार की याचिका खारिज

नई दिल्लीः बीजेपी सांसद मनोज तिवारी और निशिकांत दूबे को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। कोर्ट ने झारखंड सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ पुलिस की एफआईआर को रद्द करने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि झारखंड पुलिस की प्राथमिकी के मामले में सांसदों पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। इन सांसदों पर 2022 में सूर्यास्त के बाद अपने विमान को देवघर हवाई अड्डे से उड़ान भरने की अनुमति देने के लिए हवाई यातायात नियंत्रण पर दबाव डालने का आरोप है।

हाई कोर्ट के फैसले को सरकार ने दी थी चुनौती 

न्यायमूर्ति ए.एस.ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की अपील पर यह फैसला सुनाया, जिसने सांसदों के खिलाफ दर्ज झारखंड पुलिस की प्राथमिकी को रद्द कर दिया था। पीठ ने राज्य सरकार को जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री को चार सप्ताह के भीतर विमानन अधिनियम के तहत अधिकृत अधिकारी को भेजने की छूट दी। पीठ ने कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) का सक्षम प्राधिकारी कानून के अनुसार, निर्णय लेगा कि अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करने की आवश्यकता है या नहीं। कोर्ट ने 18 दिसंबर को हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सांसद समेत 9 लोगों पर दर्ज था मामला

कोर्ट ने दोनों सांसदों के खिलाफ झारखंड सीआईडी ​​की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा था कि आरोपों की जांच करना डीजीसीए की जिम्मेदारी है। अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि मामला विमान अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने योग्य है जिसने विमानन अपराधों से संबंधित पूरी जिम्मेदारी डीजीसीए को दी है। मामला झारखंड के देवघर जिले के कुंडा थाना में निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी सहित नौ लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से संबंधित है।

जानें क्या था पूरा मामला

बता दें कि बीजेपी के सांसदों ने 31 अगस्त, 2022 को कथित रूप से हवाई अड्डा सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए देवघर हवाई अड्डे पर एटीसी कर्मियों पर निर्धारित समय के बाद अपने निजी विमान को उड़ान भरने की मंजूरी देने के लिए दबाव डाला था। बीजेपी सांसद के वकील ने दलील दी कि 31 अगस्त, 2023 को उनकी विशेष उड़ान में देरी हुई थी, लेकिन विमानन नियमों के अनुसार सूर्यास्त के आधे घंटे बाद उड़ान भरी जा सकती थी। उन्होंने कहा, उस दिन सूरज शाम करीब 6.03 बजे अस्त हुआ, जबकि विमान ने 6.17 बजे उड़ान भरी, जो उड़ान के स्वीकृत मानदंडों के भीतर था। वकील ने दलील दी थी कि सांसदों को राजनीतिक प्रतिशोध के कारण निशाना बनाया गया और दुर्भावनापूर्ण तरीके से झूठे मामले में फंसाया गया।

इनपुट- भाषा

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