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महाकुम्भ में श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के नागा सन्यासियों को दी गई सन्यास दीक्षा

प्रयागराज। भारत की वैदिक सनातनी संस्कृति और उसकी सांस्कृतिक विरासत की दिव्य महाकुम्भ सेक्टर 20 में बसे अखाड़ों के सैनिकों की भर्ती प्रक्रिया जारी है। सनातन हिन्दू धर्म संस्कृति के प्रचार—प्रसार एवं संवधर्न के लिए शनिवार की रात बड़ी संख्या में नागा सन्यासियों को सन्यास दीक्षा प्रदान की गई।

सनातन हिन्दू धर्म की सेना कहे जाने वाले नागा सन्यासियों की भर्ती प्रकिया जारी है। सनातन संस्कृति की रक्षा करने वाले संत एवं नागा सन्यासियों का जीवन देश में ही नहीं पूर्व विश्व में एक अलग जीवन है। इस जीवन में प्रवेश करने से पूर्व कई संस्कार कराए जाते है। इसी क्रम में शनिवार भोर में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के नागा—सन्यासियों को बड़ी संख्या में सन्यास दीक्षा दी गई।

महाकुम्भ प्रयागराज के तहत जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर अनन्तश्री विभूषित पूज्यपाद श्री स्वामी अवधेशानन्द गिरी महाराज ने सनातन हिन्दू धर्म संस्कृति के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन के लिए मध्य रात्रि में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के नागा-सन्यासियों को बड़ी संख्या में “सन्यास दीक्षा” प्रदान किया। सन्यास का अर्थ – कामनाओं के सम्यक न्यास से है। अतः सन्यासी होना अर्थात् अग्नि, वायु, जल और प्रकाश हो जाना है। सन्यासी के जीवन का प्रत्येक क्षण परमार्थ को समर्पित होता है।

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